Tanha raah ka raahi

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रात  है  इज़तराब की चादर  जैसे  सेहरा सराब की  चादर  आग में हम  झुलस गए इतने  ओढ़ ली  फिर  अज़ाब  की  चादर  एक  मंज़र मैं  सिमटे हम दोनो  तान कर इन्त्साब ...

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